रविंद्र सिंह भाटी ने शिव के 70 साल के रिकॉर्ड को दहलाया है, और उनकी उपलब्धि ने सभी को चौंका दिया है। इससे पहले भी उन्होंने अपनी क्षमता और साहस का परिचय देने के लिए रिकॉर्ड तोड़ने का प्रयास किया है। 2019 में,
आपका प्यार व आशीर्वाद सदैव बना रहे…! 🙏 pic.twitter.com/RGNZphaIT0
— Ravindra Singh Bhati (@RavindraBhati__) August 29, 2019
राजस्थान के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष चुने जाने पर उनकी कड़ी मेहनत और नेतृत्व क्षमता को साबित होते हुए, उन्होंने इतिहास रचा। छात्रसंघ के 57 सालों के इतिहास में, रविंद्र सिंह ने सबसे पहले निर्दलीय अध्यक्ष बनकर एक नया मील का पत्थर रखा है।
Who Is Ravindra Singh Bhati (रविंद्र सिंह भाटी कौन है)
इस उज्ज्वल युवक का नाम है रविंद्र सिंह भाटी। वे बीजेपी से टिकट प्राप्त नहीं कर पाए, लेकिन इसके बावजूद, उन्होंने शिव सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा। उनकी बगावत और चुनाव प्रचार के दौरान उनका समर्थन इतना उत्साही और सजीव हुआ कि अब उनकी जीत की खबरें शिव विधानसभा सीट से हर कोने में गूंथी जा रही हैं। रविंद्र सिंह भाटी ने न तो सिर्फ चुनाव लड़ा, बल्कि अपने सोच और क्रियाओं से जनता के दिलों में स्थान बनाया है, जो उन्हें एक सकारात्मक और सकारात्मक रूप से याद किया जा रहा है।
Ravindra Singh Bhati Shiv Election Result (MLA)
Ravindra singh bhati kitne vote se jite: रविंद्र सिंह भाटी का चमकता हुआ जलवा इतना है कि वह निर्दलीय होने के बावजूद चुनाव प्रचार के दौरान ही अलग-अलग दलों से जुड़े लोगों और आम जनता के बीच में भारी समर्थन पा रहे थे, विशेषकर युवा वर्ग से। उन्होंने फतेह खान को 3950 वोटों से परास्त किया, जो भी निर्दलीय उम्मीदवार थे। इस प्रतिस्पर्धा में रविंद्र सिंह भाटी ने कुल 79495 वोट हासिल किए, जिससे उनकी जीत का जश्न सोशल मीडिया पर धूमधाम से मनाया जा रहा है। उनका यह उदाहरण साबित करता है कि उनकी जनप्रियता और समर्थन दर कई दलों और वर्गों के बीच बहुमुखी है।
इस बात का सबूत यह है कि भाटी को समर्थन सिर्फ और सिर्फ शिव में ही मिल रहा था, बल्कि सोशल मीडिया पर देशभर से लोगों ने भी उनका समर्थन किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में भी उनकी जीत के लिए प्रार्थना हुई। यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि शिव विधानसभा क्षेत्र पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है और रविंद्र भाटी राजपूत हैं। इस समाज के लोग पाकिस्तान में भी मौजूद हैं और दोनों तरफ के लोगों के बीच आज भी एक गहरा रोटी-बेटी का रिश्ता है। इसलिए, पाकिस्तान में रहने वाले इस समाज के लोग भी रविंद्र की जीत का आशीर्वाद देने के लिए उत्सुक थे।
Ravindra Singh Bhati Biography, and Election Result
रविंद्र सिंह ने शिव का 70 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। वह पहले भी रिकॉर्ड तोड़ने के लिए जाने जाते रहे हैं, परंतु इस बार उन्होंने इतिहास रच दिया है। 2019 में राजस्थान के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में चुने जाने पर उन्होंने छात्रसंघ के 57 साल के इतिहास में पहले निर्दलीय अध्यक्ष बनकर इतिहास रचा।
रविंद्र सिंह का छात्र राजनीति से लेकर विधानसभा तक का सफर काफी रोचक है। वे बाड़मेर जिले के निवासी हैं, जहां से यह शिव विधानसभा आती है। उनका जन्म हुआ दुधौड़ा गाँव, जो उनकी शक्तिशाली राजनीतिक करियर की नींव है। इनका परिवार राजनीति से अपना रिश्ता नहीं रखता था, लेकिन रविंद्र ने अपने घर का नाम रोशन करके दिखाया है।
Ravindra singh bhati father
रविंद्र सिंह भाटी के पिताजी एक अध्यापक हैं और उनका पहला कदम राजनीतिक दुनिया में 2016 में राजस्थान के विश्वविद्यालय में राजनीतिक प्रवेश के साथ हुआ। यहां उन्होंने छात्र नेताओं के संपर्क में आने के बाद छात्र राजनीति में उतरने का निर्णय लिया। 2019 में उन्होंने भारतीय विद्यार्थी परिषद से छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांगा, जो उन्हें नहीं मिला। इसके बाद, उन्होंने निर्दलीय चुनाव में भाग लेकर जीत हासिल की, जहां उन्होंने NSUI और ABVP दोनों के उम्मीदवारों को हराया।
२०१९ से लेकर २०२२ तक, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में चमकते रहे। इस समय के दौरान, चुनावों का आयोजन कोरोना के कारण दो वर्षों तक टाला गया, लेकिन उनकी नेतृत्व में स्थायिता बनी रही। इसके बाद, रविंद्र ने राजनीतिक साकार में कदम रखा, और वे बीजेपी के टिकट पर शिव से विधानसभा चुनाव लड़ने का सपना देखते थे। उन्होंने नवम्बर 2023 में भाजपा की सदस्यता भी ग्रहण की, परंतु भाजपा ने इस सीट के लिए स्वरुप सिंह खारा को टिकट दिया। इसके बाद, रविंद्र सिंह भाटी ने निर्दलीय रूप से चुनाव लड़कर एक नया इतिहास रचा है। उनकी साहसपूर्ण यात्रा ने सबको आकर्षित किया है और उन्हें एक नए दौर की शुरुआत का मौका दिया है।