Artificial Rain In Delhi (दिल्ली में सरकार ने करवाई नकली बारिश)

By taaza-time.com

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Artificial Rain In Delhi: इसी साल दिल्ली में कृत्रिम वर्षा करवाई गई भारतीय सरकार के द्वारा क्योंकि दिल्ली में कोर कुछ बहुत ही ज्यादा हो रहा था कोहरे से मेरा मतलब है कि दिल्ली का पॉल्यूशन बहुत ही ज्यादा बढ़ गया था, इसलिए उधर की सरकार ने कृत्रिम वर्षा करवाने का फैसला जारी किया और सुप्रीम कोर्ट से इसका आज्ञा ली गई.

Artificial Rain In Delhi

दिल्ली में कृत्रिम बारिश आर्टिफिशियल रेन का सहारा लेने के बारे में भी सोचा जा रहा है पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आईआईटी कानपुर की थीम के साथ बैठक बुलाई इससे पहले भी एक बार 2018 में आर्टिफिशियल रेन की योजना बनाई गई थी आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर ने तैयारी भी कर ली थी लेकिन मौसम अनुकूल न होने की वजह से यह संभव नहीं हो पाया था की दिल्ली में कृत्रिम बारिश की जाए.

दिल्ली में कृत्रिम बारिश कैसे हुई थी?

लेकिन आप सबके मन में अभी यह सवाल उठा रहा होगा कि यह होती कैसे आर्टिफिशियल रेन इसके लिए दरअसल आपको बता दे कि आसमान में सिल्वर आयोडाइड का छिड़काव किया जाता है एयरक्राफ्ट की मदद से यह छिड़काव होता है सिल्वर आयोडाइड हवा और मौजूद बादलों को आपस में संपर्क में वह आता है और सिल्वर आयोडाइड पर करें एक तरह से होता है और नमी वाले बादलों में पानी की मात्रा बढ़ती है.

कल फिर भाई के दौरान दिलीप सरकार सुप्रीम कोर्ट से अपील करेगी कि वह केंद्र सरकार को कितनी बारिश करने में राज्य सरकार का सहयोग करने का आदेश दे जहां तक दिल्ली गवर्नमेंट का सवाल है उनकी तरफ से हमारे पास आज सुबह से कुछ फोन कॉल सही है और साथी हम सीआईए इंडियन इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर पिछले दो महीने से इसकी प्लानिंग कर रहे हैं कि एनसीआर रीजन में क्लाउड सीडिंग के द्वारा पॉल्यूशन कंट्रोल कैसे करें कब करें और की ऑफिस जो है इस समय बहुत एक्टिव है और कांटेक्ट कर रहा है दिल्ली गवर्नमेंट हॉस्पिटल गवर्नमेंट के साथ क्या होती है जिससे बादलों की भौतिक अवस्था यानी उसकी फिजिकल स्टेट में बदलाव होने लगता है.

फिर जमीन पर गिरने लगते हैं इससे क्लाउड फीडिंग भी कहा जाता है जिससे कि यह कृत्रिम बारिश कराई जाती है इसका इस्तेमाल किया जाता है पोटैशियम आयोडाइड का इस्तेमाल किया जाता है जो आसमान में बहुत ज्यादा ठंड पैदा कर देती है और इसे फिर पानी के कारण आपस में जोड़ने लगते हैं और फिर बारिश होने लगती है कैसे जाती है क्लाउड फीडिंग करने के लिए आमतौर पर एरोप्लेन की मदद ली जाती है हाई प्रेशर पर भरा जाता है इस इलाके में कृत्रिम बारिश करनी होती है दिशा में चलाया जाएगा और जब बाथरूम के बीच विमान आता है जो शुष्क बर्फ होती है और फिर हवा में मौजूद पानी के कान हमने लगते हैं बड़ी-बड़ी बूंदे बारिश का रूप लेकर आसमान से जमीन पर बर्फ से लगती है जिसे कृत्रिम बारिश कहे.

जब किसी इलाके में सूखा पड़ता है और बारिश करने के लिए कोई और साधन समझ नहीं आता है कई देशों में सोने से पहले और जगह बदलने के लिए भी कृत्रिम बारिश का सहारा लिया जाता है वायु प्रदूषण को कम करने के लिए भी इसका सहारा लिया जाएगा ऐसी प्लानिंग सरकार की है 20 और 21 नवंबर को कृत्रिम बारिश करवाया जा सकता है ऐसा कहना है दिल्ली सरकार द्वारा की दिल्ली में कृत्रिम बारिश करवाई जा सकती है.

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